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Class 12th व्यवसाय अध्ययन
(Business Studies)
Chapter 2
प्रबंध के सिद्धांत (Principles of Management)
6. सामूहिक हितों के लिए व्यक्तिगत हितों का समर्पण (Subordination of Individual Interest to General Interest):- इस सिद्धांत के अनुसार संगठन के हितों को कर्मचारी विशेष के हितों की तुलना में प्राथमिकता देनी चाहिए। सभी परिस्थितियों में समूह/कंपनी के हित, किसी भी व्यक्ति के हितों का अधिक्रमण करेंगे। क्योंकि कर्मचारियों एवं हितोधिकारियों के बड़े हित किसी एक व्यक्ति के हितों की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं।
7. कर्मचारियों को प्रतिफल (Remuneration of Personnel):- कर्मचारियों को इतनी मजदूरी अवश्य मिलनी चाहिए कि कम-से-कम उनका जीवन स्तर तर्क संगत हो सके। लेकिन साथ ही यह कंपनी की भुगतान क्षमता की सीमाओं में होनी चाहिए। इससे अनुकूल वातावरण बनेगा एवं कर्मचारी तथा प्रबंध के बीच संबंध भी सुमधुर रहेंगे। इसके परिणाम स्वरूप कंपनी का कार्य सुचारू रूप से चलता रहेगा।
8. केन्द्रीयकरण एवं विकेन्द्रीकरण (Centralisation and Decentralisation):- केन्द्रीयकरण के अंतर्गत सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय उच्च प्रबंधकों द्वारा किए जाते है जबकि विकेंद्रीकरण के अंतर्गत निर्णय लेने का अधिकार निम्न स्तर तक फैला होता है। इनके बीच उचित संतुलन होना चाहिए क्योंकि कोई भी संगठन पूर्णतया केन्द्रीकृत या विकेन्द्रीकृत नहीं हो सकता।
9. सोपान श्रृंखला (Scalar Chain):- उच्चतम पद से निम्नतम पद तक की औपचारिक अधिकार रेखा को 'सोपान शृंखला' कहते हैं। संगठनों में अधिकार एवं संप्रेषण की श्रृंखला होनी चाहिए जो ऊपर से नीचे तक हो तथा उसी के अनुसार प्रबंधक एवं अधीनस्थ होने चाहिए। इस श्रृंखला का उपयोग करने से संगठन में आदेश की एकता आती है तथा दोहरे आदेशों के भ्रम से छुटकारा मिलता है इस श्रृंखला का उल्लंघन नहीं करना चाहिए परन्तु आवश्यकता पड़ने पर एक स्तर पर कार्यरत कर्मचारी समतल पट्टी के द्वारा संपर्क कर सकते है।
10. व्यवस्था (Order):- सही व्यक्ति को सही कार्य पर लगाना चाहिए तथा सही वस्तु को सही स्थान पर रखा जाना चाहिए।11. समता (Equity):- प्रबंधकों के श्रमिकों के प्रति व्यवहार में यह सिद्धांत दयाभाव एवं न्याय पर जोर देता है। प्रबंधकों को कर्मचारियों के साथ जाति, धर्म या लिंक के आधार पर भेद नहीं करना चाहिए।12. कर्मचारियों की उपयुक्तता (Stability of Personnel):- कर्मचारियों का चयन एवं नियुक्ति उचित एवं कठोर प्रक्रिया के द्वारा की जानी चाहिए। लेकिन चयन होने के पश्चात् उन्हें न्यूनतम निर्धारित अवधि के लिए पद पर बनाए रखना चाहिए। इस सिद्धांत के अनुसार कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व होना चाहिए। उन्हें बार-बार पद से नहीं हटाया जाना चाहिए तथा उन्हें कार्य की सुरक्षा का विश्वास दिलाया जाना चाहिए ताकि उनका अधिकतम योगदान मिल सके।13. पहल क्षमता (Initiative):- पहल क्षमता का अर्थ है- स्वयं अभिप्रेरणा की दिशा में पहला कदम उठाना। कर्मचारियों को सभी स्तरों पर सम्बन्धित कार्य के बारे में पहल करने की अनुमति होनी चाहिए। इससे वे प्रेरित एवं संतुष्ट होते है।14. सहयोग की भावना (Espirit De Corps):- इसका आशय सामूहिक प्रयासों में तालमेल तथा परस्पर समझदारी से है इससे कर्मचारियों में सुदृढता आती है। इसे उचित संदेशवाहन एवं समन्वय से प्राप्त किया जा सकता है। सहयोग की भावना के पोषण के लिए प्रबंधक को कर्मचारियों से पूरी बातचीत में 'मैं' के स्थान पर 'हम' का प्रयोग करना चाहिए। इससे समूह के सदस्यों में पारस्परिक विश्वास एवं अपनेपन को भावना पैदा होगी।
1900 (डार्ट माउथ कॉलेज) में स्थापित टक स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर रहे।1906 से 1907 तक 'अमरीकन सोसाइटी ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स' के प्रधान रहे।
उदाहरण के लिए यह निर्धारित किया गया कि मानक उत्पादन प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 10 इकाई है एवं जो इस मानक को प्राप्त कर लेंगे अथवा इससे अधिक कार्य करेंगे उनको 50 रुपए प्रति इकाई से मजदूरी मिलेगी जबकि इससे नीचे कार्य करने पर 40 रुपए प्रति इकाई से मजदूरी प्राप्त होगी। इस प्रकार से एक कुशल कर्मचारी को 11×50 = 550 रुपए प्रतिदिन भुगतान मिलेगा जबकि अकुशल कर्मचारी जिसने 9 इकाई तैयार की है, को 9x40 = 360 रुपए प्रतिदिन मिलेगा। परिणामस्वरूप अकुशल मजदूर भी अधिक कार्य के लिए अभिप्रेरित होगे।
ApniClass
Class 12th व्यष्टि अर्थशास्त्र (Microeconomics) Notes
Class 12th समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics) Notes Class 12th व्यवसाय अध्ययन (Business Studies) Notes Class 12th लेखाशास्त्र (Accountancy) Part I Notes Class 11th अर्थशास्त्र (Economics) Notes