Class 12th प्रारंभिक समष्टि अर्थशास्त्र (Introductory Macroeconomics)
Chapter 5 - सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and the Economy)
- सरकारी बजट का अर्थ (Meaning of Government Budget) :
सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियों (आय) तथा सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है। यह अर्थव्यवस्था की संवृद्धि (Growth) तथा स्थिरता (Stability) पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार की राजकोषीय नीति /बजटीय नीति (Fiscal Policy/Budgetary Policy) को प्रकट करता है।
- सरकारी बजट के उद्देश्य (Objectives of Government Budget) :
- GDP संवृद्धि (GDP Growth): GDP संवृद्धि सरकार की बजटीय नीति का प्रमुख उद्देश्य है। इसे दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है:
- आधारिक संरचना पर सार्वजनिक निवेश के द्वारा तथा
- कर-छूट (Tax Rebate) तथा आर्थिक सहायता द्वारा निजी निवेश को प्रोत्साहित करके।
- संतुलित प्रादेशिक संवृद्धि (Balanced Regional Growth): बजटीय नीति देश के पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। यह पिछड़े क्षेत्रों में उदार कर कानूनों (Liberal Tax Laws) द्वारा प्राप्त किया जाता है। उदार कर कानून द्वारा पिछड़े क्षेत्रों में विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones-SEZ) की स्थापना इसका एक उदाहरण है।
- संसाधनों का आंबटन (Allocation of Resources): बाजार अर्थव्यवस्थाओं में संसाधन आंबटन उन वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन हेतु किया जाता है जिन्हें उपभोक्ता खरोदने के इच्छुक है। उच्च कीमत वाली वस्तुएँ संसाधनों के अधिक आंबटन को आकर्षित करती है। संसाधन आंबटन की यह प्रक्रिया लाभ अधिकतमीकरण में सहायक होती है। परंतु यह अधिकतम सामाजिक कल्याण को प्राप्त करने में असफल होती है। बजट का एक उद्देश्य संसाधनों का उचित आंबटन करके सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना है न कि केवल लाभ को अधिकतम करना।
- आय तथा संपत्ति का पुनर्वितरण (Redistribution of Income and Wealth): सरकारी बजट से सरकार के कराधान (Taxation) तथा आर्थिक सहायता संबधी व्यापक नीतियों का ज्ञान प्राप्त होता है| अर्थव्यवस्था में आय और संपत्ति के बँटवारे में सुधार लाने हेतु सरकार कराधान तथा आर्थिक सहायता के वित्तीय उपकरणों का उपयोग करती है। संपत्ति और आय का सामान बँटवारा सामाजिक न्याय का प्रतिक है जो की भारत के किसी भी कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य होता है।
- रोज़गार के अवसर (Employment Opportunities):- बजटीय नीति रोज़गार के अवसरों के सृजन पर भी ध्यान केंद्रित करती है। सरकारी उद्यमों में निवेश तथा प्रशासकीय सेवाओं का प्रावधान रोज़गार उत्पन्न करते हैं। समाज के निर्धन वर्गों को रोज़गार प्रदान करने के लिए MGNREGA जैसे कार्यक्रम आरंभ किए जा रहे है।
- आर्थिक स्थिरता (Economic Stability): आर्थिक स्थिरता राजकोषीय नीति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है। उपयुक्त राजकोषीय नीति को अपनाकर सरकार अर्थव्यवस्था में स्फीतिक (Inflationary) तथा अवस्फीतिक (Deflationary) अंतरालो की स्थितियों को ठीक करने का प्रयास करती है।
- बजट के घटक (Components of the Budget): बजट के दो विस्तृत घटक है :
- बजट प्राप्तियाँ (Budget Receipts) (जिसमे राजस्व प्राप्तियों एवं पूँजीगत प्राप्तियों को सम्मिलित किया जाता है) तथा
- बजट व्यय (Budget Expenditure) (जिसमें राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय को सम्मिलित किया जाता है)
- बजट प्राप्तियाँ (Budget Receipts) :
बजट प्राप्तियों से अभिप्राय एक वित्तीय वर्ष में सरकार को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली अनुमानित मौद्रिक आय से है। बजट प्राप्तियों का विस्तृत रूप से दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है:-
- राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts);
- पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Receipts)
- राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts):
सरकार की उन सभी प्राप्तियों को राजस्व प्राप्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित दो विशेषताओं को प्रकट करती है:
- इन प्राप्तियों से सरकार की कोई देयता उत्पन्न नहीं होती। उदाहरण के लिए 'कर' एक राजस्व प्राप्ति है क्योंकि इसके फलस्वरूप सरकार की कोई देयता उत्पन्न नहीं होती। कर सरकार को किया जाने वाला एक पक्षीय आवश्यक भुगतान है।
- इन प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी नहीं होती। उदाहरण के लिए, जब सरकार मारुति उद्योग के शेयर बेच कर मुद्रा प्राप्त करती है तो उसकी परिसंपत्तियों में कमी हो जाती है। इसलिए इसे राजस्व प्राप्तियाँ नहीं कहा जाएगा।
- राजस्व प्राप्तियों के घटक (Components of Revenue Receipts)
- कर प्राप्तियाँ (Tax Receipts):
- आय कर (Income Tax)
- निगम कर (Corporation Tax)
- संपदा शुल्क (Estate Duty
- उपहार कर (Gift Tax)
- सीमा शुल्क (Excise Duty)
- उत्पाद शुल्क (Custom Duty)
- गैर- कर प्राप्तियाँ (Non-Tax Receipts):-
- शुल्क (Fees)
- जुर्माना (Penalties)
- एसचीट (Escheat)
- विशेष आंकन (Special Assessment)
- सरकारी उद्यमों से आय (Income from Public Enterprises)
- अनुदान/ दान (Grants/Donations)
- पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Receipts) :
सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों को पूँजीगत प्राप्तियाँ माना जाता है जो निम्नलिखित दो विशेषताओं को प्रकट करती हैं:
- इन प्राप्तियों से सरकार की देयता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा लिए जाने वाले ऋण एक देयत है। इन्हें वापस किया जाता है। इसलिए इन्हें सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ कहा जाता है।
- इन प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्तियां कम होती है।
- पूँजीगत प्राप्तियों के घटक (Constituents of Capital Receipts):-
- ऋणों की वसूली (Recovery of Loans)
- उधार तथा अन्य देयताएँ (Borrowing And Other Liabilities)
- अन्य प्राप्तियाँ (Other Receipts) जैसे विनिवेश से प्राप्त आय।
- बजट व्यय (Budget Expenditure) :- बजट व्यय एक वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार के कुल खर्च के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। बजट प्राप्तियों का विस्तृत रूप से दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है:-
- राजस्व व्यय (Revenue Expenditure)
- पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure)
- राजस्व व्यय (Revenue Expenditure):- सरकार के द्वारा किए व्यय को राजस्व व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित दो विशेषताओं को प्रकट करता है:
- यह सरकार के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं करता है।
- यह सरकार की देयता कम नहीं करता है।
भारत सरकार के बजट में राजस्व व्यय की महत्वपूर्ण मदें (Important Items of Revenue Expenditure in the Indian Government):-
- सरकार का वेतन बिल।
- ब्याज का भुगतान।
- आर्थिक सहायता पर व्यय।
- सुरक्षा के लिए खरीदी गई वस्तुओं पर व्यय।
- पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure) :
सरकार के द्वारा किए व्यय को पूंजीगत व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित दो विशेषताओं को प्रकट करता है:
- यह सरकार के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा किसी घरेलू या बहुराष्ट्रीय निगम के शेयर खरीदना पूँजीगत व्यय है। इसके फलस्वरूप सरकार की परिसंपत्तियों में वृद्धि होती है।
- यह सरकार की देयता कम करता है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा ऋण की वापसी से उसकी देयता कम होती है। इसलिए इसे पूंजीगत व्यय माना जाता है।
भारत सरकार के बजट में पूंजीगत व्यय की महत्वपूर्ण मदें (Important Items of Capital Expenditure in the Indian Government Budget)
- भूमि और भवन पर व्यय |
- मशीनरी तथा उपकरणों पर व्यय।
- शेयरों की खरीद |
- केंद्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकारों या राज्य निगमों को दिए जाने वाले ऋण।
- योजनागत तथा गैर- योजनागत व्यय (Plan and Non-plan Expenditure)
- योजनागत व्यय (Plan Expenditure): योजनागत व्यय से अभिप्राय उस व्यय सें है जो (i) पंचवर्षीय योजनाओं तथा/या (ii) केंद्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकारों को दी जाने वाली सहायता से संबंधित है। इसमें राजस्व व्यय (जैसे- वेतन का भुगतान) तथा पूँजीगत व्यय (जैसे- एक अस्पताल की इमारत का निर्माण) दोनों ही शामिल होते हैं।
- गैर- योजनागत व्यय (Non-plan Expenditure):- गैर-योजनागत व्यय से अभिप्राय उस व्यय से है जो (i) पंचवर्षीय योजनाओं तथा/या (ii) केंद्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकारों को दी जाने वाली सहायता से संबंधित नहीं है। योजना व्यय की भाँति गैर योजनागत व्यय में भी राजस्व तथा पुँजीगत व्ययों दोनों को शामिल किया जाता है। सुरक्षा तथा अनुदानों, वेतन तथा पेंशन पर किए गए गैर-योजनागत व्यय के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
- बजट घाटा: राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा तथा प्राथमिक घाटा (Budget Deficit: Revenue Deficit, Fiscal Deficit and Primary Deficit):-
- राजस्व घाटा (Revenue Deficit):-
- यह राजस्व प्राप्तियों पर राजस्व व्यय का आशिक्य है।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय-राजस्व प्राप्तियाँ
- यह बजटीय व्यय को प्रकाशित करने हेतु सरकार की उधार की आवश्यकता को प्रकट करता है।
- उच्च राजस्व घाटा निम्ता कर प्राप्तियों तथा आर्थिक सहायता पर उच्च व्यय के कारण उत्पन्न होता है। यह देश में संपूर्ण निर्धनता को प्रकट करता है।
- राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit):-
- यह कुल प्राप्तियों (उधार के अतिरिक्त) पर कुल व्यय का आधिक्य है।
राजकोषीय घाटा =बजट व्यय-बजट प्राप्तियाँ (उधार के अतिरिक्त)
- यह ब्याज के भुगतान के अतिरिक्त सरकार की उधार लेने की सीमा को प्रकट करता है।
- उच्च राजकोषीय घाटा (उधार के रूप में) देश में राजकोषीय अनुशासन के अभाव को प्रकट करता है। यह GDP संवृद्धि की प्रक्रिया में बाधा डालता है।
- प्राथमिक घाटा (Primary Deficit):-
- यह राजकोषीय घाटे तथा ब्याज के भुगतान का अंतर है।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा- ब्याज भुगतान
- यह ब्याज के भुगतान के अतिरिक्त सरकार को उधार लेने की सीमा को प्रकट करता है।