Class 12th लेखाशास्त्र (Accountancy)

Chapter 1 - अलाभकारी संस्थाओं के लिए लेखांकन 

(Accounting for Not-for-Profit Organisation)



  • अलाभकारी संस्थाओं का अर्थ (Meaning of Not-for-Profit Organisation):- अलाभकारी संस्थाओं से आशय ऐसे संस्थानों से है जिनकी स्थापना सामाजिक कल्याण (Social Welfare) के लिए होती है तथा जिनका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता है। इनका मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट समूह या समस्त जनता को सेवाएँ प्रदान करना होता है। आमतौर पर यह किसी प्रकार का उत्पादन, वस्तुओं का क्रय या विक्रय और किसी प्रकार के उधार लेन-देन नहीं करती।
  • अलाभकारी संस्थानों की मुख्य विशेषताएँ (Main characteristics of Not-for-Profit Organisation) :
  1. इन संस्थाओं का उद्देश्य सेवाओं जैसे कि शिक्षण, व्यायामशाला, मनोरंजन, खेलकूद आदि को बिना लागत या कम लागत पर प्रदान करना होता है, न कि लाभ कमाना।
  1. इनका निर्माण धर्मार्थ प्रन्यास (Charitable Trusts) की तरह होता है और इनमें अनुदान करने वाले इसके सदस्य (Members) कहलाते हैं।
  1. इनके कार्य का प्रबंधन सामान्यत: प्रबंधक संबंधी समिति तथा इसके चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  1. इन संस्थाओं की आय के मुख्य स्त्रोत निम्नलिखित हैं:-

(क) सदस्यों से अनुदान (Subscription from members);

(ख) दान (Donations);

(ग) वसीयत (Legacies);

(घ) अनुदान में सहायता (Grant-in-aid);

(ङ) विनियोग से आय (Income from investments), इत्यादि।

  1. इन संस्थाओं में विभिन्न स्रोतों से बनाई गई निधि को पूँजी निधि (Capital Fund) अथवा सामान्य निधि (General Fund) में जमा किया जाता है।
  1. व्यय पर आय का आधिक्य, अधिशेष (Surplus) के रूप में इसके सदस्यों के मध्य वितरित नहीं किया जाता। इसको सरल रूप से पूँजी निधि में जोड़ दिया जाता है।
  1. अलाभकारी संस्थाओं की प्रसिद्धि एवं सफलता को सामाजिक कल्याण में उनके योगदान के आधार पर मापा जाता है, न कि उनके ग्राहकों या मालिक के संतोष के आधार पर।
  • अलाभकारी संस्थाओं का लेखांकन करने के मुख्य उद्देश्य (Main objectives for maintaining accounting records in Not-for-Profit Organisations) :-
    1. वैधानिक जरूरतों को पूरा करना।
    2. निधि के प्रयोग पर नियंत्रण करना।
    3. वित्तीय स्थिति की सही जानकारी का पता करना।
    4. वर्तमान एवं भविष्य के अनुदान दाताओं को संस्था से संबंधित जानकारी प्रदान  करना।
  • अलाभकारी संस्थाओं के अभिलेखों का लेखांकन (Accounting Records of Not-for-Profit Organisations):-
  1. अलाभकारी संस्थाएँ किसी भी प्रकार के उत्पादन या व्यापारिक गतिविधि में शामिल नहीं होती है। इनकी आय का मुख्य स्त्रोत, इसके सदस्यों से प्राप्त अनुदान, दान, सरकारी सहायता और विनियोग से प्राप्त आय है।
  1. अधिकतर लेन देन रोकड़ और बैंक के द्वारा किए जाते हैं इसलिए सामान्यत: ये संस्थान एक रोकड़ पुस्तक (Cash Book) रखते हैं जिसमें सभी प्राप्तियों और भुगतानों को प्रलेखित किया जाता है।
  1. इसी के साथ साथ यह एक लेखा बही (Ledger) भी प्रतिपादित करते हैं जिसमें सभी आय, व्यय, परिसंपत्तियों और दायित्वों का अभिलेखन किया जाता है जो कि एक लेखा वर्ष की समाप्ति पर वित्तीय विवरण बनाने में सहायता प्रदान करते हैं।
  1. इसके अतिरिक्त सभी मूर्त परिसंपत्तियों (Tangible Assets) को प्रलेखित करने के लिए एक स्टॉक रजिस्टर (Stock Register) का प्रयोग भी किया जाता है।
  1. ये संस्थाएँ कोई पूँजी खाता तैयार नहीं करती है। इसके बदले में यह पूँजी निधि (Capital Fund) बनाते है।
  • अलाभकारी संस्थाओं के अंतिम खातों में निम्नलिखित खाते शामिल हैं (Final Accounts of Not-for-Profit Organisations :
  1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता (Receipts and Payment Account) ;
  2. आय और व्यय खाता (Income and Expenditure Account), तथा
  3. तुलन पत्र (Balance Sheet)।
  • प्राप्ति एवं भुगतान खाता (Receipts and Payment Account):
  1. यह रोकड़ पुस्तक का सारांश (summary of Cash Book) है। इसका प्रारूप सामान्य रोकड़ पुस्तक (बट्टा और बैंक स्तंभ के बिना) के समान है। प्राप्तियाँ नाम पक्ष (Debit Side) में दर्ज की जाती हैं और भुगतान जमा पक्ष (Credit Side) में दर्ज होते हैं।
  1. यह प्राप्तियों और भुगतानों की कुल राशि को दर्शाता है जिस अवधि से वह संबंधित है। उदाहरण के लिए, 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए हम 2018-2019 वर्ष के दौरान प्राप्त कुल चंदे की राशि को प्रलेखित करेंगे जिसमें 2017-2018 तथा 2019-2020 के चंदे भी सम्मिलित हैं। इसी प्रकार वर्ष 2018-2019 के दौरान भुगतान किए गए कर (Tax) यदि वह वर्ष 2017-2018 और 2019-2020 से संबंधित है तो भी इनका प्रलेखन 2018-2019 के खातों में किया जाएगा।
  1. इसमें सभी प्राप्तियों एवं भुगतानों को सम्मिलित किया जाएगा चाहे वह आयगत प्रकृति (Revenue Nature) की हों या फिर पूँजीगत प्रकृति (Capital Nature) की।
  1. रोकड़ तथा बैंक से संबंधित प्राप्तियों और भुगतानों में कोई अंतर नहीं किया जाता है। आरंभिक और अंतिम शेष को अपवाद माना जाता है और कुल प्राप्तियों और भुगतान की कुल राशि को इस खाते में दर्शाया जाता है।
  1. किसी भी गैर रोकड़ मद (Non Cash Items) जैसे ह्रास, बकाया व्यय तथा अर्जित आय इत्यादि को इस खाते में नहीं दर्शाया जाता है।
  1. इसका आरंभ रोकड़ के आरंभिक शेष (हस्तस्थ) और बैंकस्थ (या बैंक अधिविकर्ष) से किया जाता है और अंत, वर्ष के अंत में रोकड़ शेष (हस्तस्थ) बैंकस्थ या बैंक अधिविकर्ष (Bank Overdraft) के साथ किया जाता है।

उदाहरण 1. सिल्वर प्वाइंट से संबंधित दिए गए विवरणों से 31 मार्च, 2012 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाता तैयार कीजिए।

हल:-


सिल्वर प्वाइंट की पस्तकें

प्राप्ति एवं भुगतान खाता

31 मार्च 2012 वर्ष की समाप्ति पर

  • आय और व्यय खाता (Income and Expenditure Account):-
  1. यह एक लेखा वर्ष के लिए आय और व्यय खाते का सारांश होता है। यह एक व्यापारिक संस्थान द्वारा उपार्जन आधार (Accrual Basis) पर तैयार किए गए लाभ और हानि खाते (Profit and Loss Account) की तरह ही होता है।
  1. इस खाते में केवल आयगत प्रकृति (Revenue Nature) की मदों को शामिल किया जाता है तथा वर्ष के अंत में शेष आधिक्य तथा कमी को दर्शाया जाता है।
  1. आय तथा व्यय खाते का उद्देश्य एक व्यापारिक संस्थान के लिए लाभ व हानि खाते की तरह ही होता है।
  1. चालू अवधि से संबंधित सभी आयगत मदें (Revenue Items) इस खाते में दर्शाई जाती हैं।
  1. सभी व्यय तथा हानियों को व्यय पक्ष मे तथा सभी आय तथा लाभों को आय पक्ष में दर्शाया जाता है।
  1. यह निवल प्रचालन परिणाम (Net Operating Result), अधिशेष (Surplus) के रूप में (आय का व्यय पर आधिक्य) तथा छपाई (Deficit) (व्यय पर आय का आधिक्य) के रूप में दर्शाता है जो की तुलन पत्र में दर्शाए गए पूँजी निधि में हस्तांतरित किया जाता है।
  1. आय और व्यय खाते को दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते, बकाया (Outstanding) तथा अग्रिम (Prepaid) से संबंधित अतिरिक्त सूचनाएँ, ह्रास इत्यादि की सहायता से उपार्जन क्षमता के आधार पर (Accrual Basis) तैयार किया जाता है| इसलिए अनेक मदें जो की प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दर्शाई जाती हैं, को समायोजित करने की आवश्यकता पड़ती है।
उदाहरण 2. नीचे दिए गए रोकड़ पुस्तक के सारांश की सूचनाओं के आधार पर 31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए गोल्डन क्रिकेट क्लब का प्राप्ति एवं भुगतान खाता तैयार कीजिए और फिर प्राप्ति एवं भुगतान खाता से आय और व्यय खाता तैयार कीजिए।

रोकड़ पुस्तक का सारांश
हल:-

उदाहरण 3. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए नीचे दिए गए क्लीन दिल्ली क्लब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय और व्यय खाता तैयार करेंः



हल:-

उदाहरण 4. 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए नीचे दिए गए नेगी क्लब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते से समान अवधि के लिए आय और व्यय खाता तैयार करेंः


निम्न अतिरिक्त सूचनाएँ उपलब्ध हैंः-

(क) बकाया वेतन                                                             1,500 रु;

(ख) बकाया मनोरंजन व्यय                                                   500 रु;

(ग) अप्राप्य बैंक ब्याज                                                         150 रु;

(घ) अर्जित चंदा                                                                  400 रु;

(ङ) 50% प्रवेश शुल्क को पूँजीकृत करेंगे;

(च) फर्नीचर पर 10% वार्षिक दर से ह्रास लगाएँ।

हल:-



  • प्राप्ति एवं भुगतान खाता और आय एवं व्यय खाता में अंतर (Difference between Receipts and Payment Account and Income and Expenditure Account)
  • अलाभकारी संस्थाओं का तुलन-पत्र (Balance Sheet of Not-for-Profit Organisations ):
    1. अलाभकारी संस्थाने अपनी वित्तीय स्थिति (Financial position) का निर्धारण करने के लिए तुलन पत्र तैयार करती है। उनका तुलन पत्र  व्यापारिक फर्मों के समान तैयार किया जाता है।
    2. यह वर्ष के अंत में परिसंपत्तियों (Assets) और दायित्व (Liabilities) को दर्शाता है। परिसंपत्तियों को दाएँ पक्ष में तथा दायित्व को बाएँ पक्ष में दर्शाया जाता है।
    3. यहाँ पूँजी के स्थान पर सामान्य निधि (General Fund)/ पूँजी निधि (Capital Fund) का प्रयोग किया जाता है और आय और व्यय खाते में आधिक्य या घाटे को इन निधियों से जोड़ा या घटाया जाता है।
    4. कुछ पूँजीगत मदों जैसे- वसीयत, प्रवेश शुल्क और आजीवन सदस्यता शुल्क को प्रत्यक्ष रूप से पूँजी निधि में जोड़ा जाता है।
    5. पूँजी या सामान्य निधि के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए और सहयोगकर्ता/दानी इत्यादि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ अन्य विशेष निधियाँ भी बनायी जाती हैं। इन निधियों को तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में पृथक रूप से दर्शाया जाता है।
    6. पूँजी निधि का आरंभिक शेष ज्ञात करने के लिए वर्ष के आरंभ में तुलन पत्र को बनाना आवश्यक होता है।

तुलन पत्र का प्रारूप:

उदाहरण 5. एक्सीलेंट क्रिकेट कल्ब के प्राप्ति एवं भुगतान खाते, निम्न और अतिरिक्त सूचनाओं से 31 मार्च 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता और इस तिथि का तुलन पत्र तैयार करेंः





वर्ष के आरंभ में परिसंपत्तियाँ इस प्रकार हैंः

                                                                     (रू.)

खेल का मैदान                                           5,00,000

हस्तस्थ रोकड़                                              18,000

खेल के सामान का स्टॉक                               85,000

छपाई और लेखन सामग्री                               11,000

अप्राप्य चंदा                                                  28,000

टूर्नामेंट खाते में आधिक्य और दान को स्थायी पवेलियन के लिए संचय का निर्माण करेंगे। 31 मार्च, 2018 को अप्राप्त चंदा 42,000 रु. है। 50% खेल के सामान का और 30% छपाई और लेखन सामग्री को अपलिखित करें।

हल:-


टिप्पणीः जब आरंभिक शेष नहीं दिया गया हो तो उसका निर्धारण करने के लिए आरंभिक तुलन पत्र इस प्रकार तैयार करेंगेः

कुछ विशिष्ट मदें (Some Peculiar Items):
  • चंदा (Subscription) :

चंदा, सदस्यता शुल्क (Membership Fees) है जिसका भुगतान सदस्य द्वारा वार्षिक आधार पर किया जाता है। यह इस प्रकार की संस्थाओं में आय का मुख्य स्रोत है। सदस्यों द्वारा भुगतान किया गया चंदा प्राप्ति एवं भुगतान खाते में प्राप्ति के रूप में और आय और व्यय खाते में आय के रूप में दर्शाया जाता है। यह ध्यान रहे कि प्राप्ति और भुगतान खाता वर्ष के दौरान वास्तव में प्राप्त चंदे की कुल राशि को दर्शाता है जबकि आय और व्यय खातों में दर्शायी गई राशि केवल चालू अवधि से संबंधित राशि को दर्शाती है चाहे यह प्राप्त हुई हो या नहीं।

उदाहरण 6. 31 मार्च 2018 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति भुगतान खाते के अनुसार प्राप्त चंदा 2,50,000 रु. है। अतिरिक्त सूचनाएँ इस प्रकार हैंः

  1. 01 अप्रैल 2017 को अप्राप्त चंदा                                           50,000 रु.
  2. 31 मार्च 2018 को अप्राप्त चंदा                                             35,000 रु.
  3. 01 अप्रैल 2017 को अग्रिम प्राप्त चंदा                                    25,000 रु.
  4. 31 मार्च 2018 को अग्रिम प्राप्त चंदा                                      30,000 रु.

वर्ष 2017-2018 के लिए चंदे से आय की राशि का निर्धारण करें और आरंभिक और अंतिम तुलनपत्र में चंदे से संबंधित मदों को किस प्रकार दर्शाया जाएगा, दिखाइए।

          हल:-

उदाहरण 7. 31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से ली गई सूचनाएँ नीचे दी गई हैंः










हल:-

  • दान (Donations) :

इनको प्राप्ति एवं भुगतान खाते के प्राप्ति पक्ष में दर्शाया जाता है। दान किसी विशेष उद्देश्य या सामान्य उद्देश्य के लिए हो सकता है:

  1. विशेष दान (Specific Donations) : यदि दान किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किया जाता है, यह विशेष दान कहलाता है| यह विशेष उद्देश्य वतर्मान भवन में विस्तार, नई कंप्यूटर प्रयोगशाला का निर्माण, पुस्तक बैंक का निर्माण आदि हो सकता है। इस प्रकार के दान का पूँजीकरण किया जाता है और तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में दर्शाया जाता है। यह बिना अपेक्षा किए कि यह राशि छोटी या बड़ी है, इस राशि का उपयोग केवल विशेष उद्देश्य के लिए ही किया जाता है।
  1. सामान्य दान (General Donations) : इस प्रकार के दान का उपयोग संस्था के सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इनका व्यवहार आगम प्राप्तियों (Revenue Receipts) के समान किया जाता है क्योंकि यह आय का निरंतर स्रोत है। इसलिए यह चालू वर्ष के आय एवं व्यय खातों में आय पक्ष में ली जाती है।
  • वसीयत (Legacies) :

यह राशि मृत व्यक्ति की वसीयत के रूप में प्राप्त होती हैं, जिसके उपयोग का उद्देश्य स्पष्ट हो सकता है अथवा अस्पष्ट भी हो सकता है। यदि उद्देश्य स्पष्ट रूप से बताया गया है तो इसे दायित्व मानते हुए तुलन-पत्र में दिखाया जाएगा अन्यथा आगम प्रकृति मानते हुए आय और व्यय खाते में लिखा जाएगा।

  • आजीवन सदस्यता शुल्क (Lifetime Membership Fees) : 

कुछ सदस्य सामयिक (Periodic payment) चंदे के भुगतान के स्थान पर एकमुश्त राशि (Lump sum payment) को आजीवन सदस्यता शुल्क के रूप में भुगतान को चुनते हैं। इस राशि को पूँजी प्राप्ति माना जाता है और प्रत्यक्ष तौर पर पूँजी/सामान्य निधि में जमा किया जाएगा।

  • प्रवेश शुल्क (Entrance Fees) : 
  • प्रवेश शुल्क सदस्य द्वारा सदस्य बनते समय केवल एक बार दिया जाता है। धर्मार्थ और क्लब जैसे संगठनों की सदस्यता संगठित होती है और इनमें प्रवेश शुल्क भी अधिक होता है। इसलिए इनको अनावृत्ति मानकर सीधे पूँजी/सामान्य निधि में जमा किया जाता है।

  • पुरानी परिसंपत्तियों का विक्रय (Sale of Old Assets) : 

पुरानी परिसंपत्तियों के विक्रय से प्राप्तियों को उस वर्ष के प्राप्ति और भुगतान खाते में दर्शाया जाएगा जिसमें यह बेची गयी है परंतु परिसंपत्तियों के विक्रय से अधिलाभ या हानि को वर्ष के आय और व्यय खाते में ले जाया जाएगा।

उदाहरण के लिए, यदि फर्नीचर जिसका पुस्तक मूल्य 800 रु. है को 700 रु. में बेचा गया। यह 700 रु. की राशि को प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दर्शाया जाएगा और आय और व्यय खाते के व्यय पक्ष में 100 रु. पुरानी परिसंपत्तियों के विक्रय से हानि के रूप में लिखे जाएँगे। जबकि तुलन पत्र में फर्नीचर के पुस्तक मूल्य में से 800 रु. को घटा कर दर्शाया जाएगा।

  • पाक्षिकों का विक्रय (Sale of Periodicals) : 

यह आवृत्ति  प्रकृति (recurring nature) की मद है और आय और व्यय खाते के आय पक्ष में दर्शायी जाएगी।

  • खेल के सामान का विक्रय (Sale of Sports Materials) : 

खेल के सामान की बिक्री को सामान्यतः आय और व्यय खाते में आय के रूप में दर्शाया जाता है।

  • सम्मानार्थ पारिश्रमिक का भुगतान (Payments of Honorarium) :

यह वह राशि है जिसका भुगतान उस व्यक्ति को किया जाता है जो कि संस्था का पक्का कर्मचारी नहीं है। इस भुगतान को आय और व्यय खाते के व्यय पक्ष में दर्शाया जाएगा।

  • वृत्तिक निधि (Endowment Fund) : 

यह निधि वसीयत या उपहार से उत्पन्न होती है। यह आय विशेष उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है इसलिए यह पूँजी प्राप्ति है और यह तुलन पत्र के दायित्व पक्ष में विशिष्ट उद्देश्य के निधि के रूप में दर्शायी जाएगी।

  • सरकारी अनुदान (Government Grants) : 
  1. विद्यालय, विश्वविद्यालय, जनता अस्पताल आदि की गतिविधियाँ सरकारी अनुदान पर आधारित होती हैं।
  2. आवृत्ति अनुदान (recurring grants) को आगम प्राप्ति माना जाता है तथा आय और व्यय खाते में जमा किया जाता है।
  3. परंतु अनुदान जैसे कि भवन के लिए अनुदान को पूँजी प्राप्ति माना जाएगा और भवन निधि खाते में हस्तांतरित किया जाएगा।
  4. कुछ अलाभकारी संस्थाएँ सरकार या सरकारी एजेंसी से रोकड़ अनुदान प्राप्त करती है। यह अनुदान भी उस वर्ष के लिए आगम आय होगी जिस वर्ष में यह प्राप्त की जाएगी।
  • विशेष निधि (Special Funds) : 
  1. अलाभकारी संस्थाएँ विशिष्ट उद्देश्यों जैसे कि पुरस्कार निधि, मैच निधि और खेल निधि आदि के लिए विशेष निधि का निर्माण करती है।
  2. इन निधियों का प्रतिभूतियों (Securities) में विनियोग किया जाता है और ऐसे विनियोगों पर अर्जित आय को संबंधित निधियों में जमा कर दिया जाता है न कि आय और व्यय खाते के जमा में।
  3. इसी प्रकार विशिष्ट उद्देश्य के लिए किए गए व्यय को विशिष्ट निधि में से घटाया जाता है। उदाहरण के लिए, एक क्लब खेल गतिविधियों के लिए विशेष निधि बनाता है। इस स्थिति में खेल निधि के विनियोग से ब्याज की आय को खेल निधि में जोड़ा जाएगा और खेल पर सभी व्ययों को घटाया जाएगा।
  4. विशेष निधि को तुलन पत्र में दर्शाया जाता है। परंतु यदि आय और व्ययों का समायोजन करने के पश्चात विशेष निधि का शेष ऋणात्मक है तो यह आय और व्यय खाते के नाम पक्ष में हस्तांतरित किया जाएगा या दिए गए निर्देशों के अनुसार समायोजित किया जाएगा।
  • लेखन सामग्री (Stationery) : 
  1. सामान्यत: लेखन सामग्री पर किया गया व्यय एक उपभोग्य मद के रूप में आय और व्यय खाते से प्रभार किया जाता है।
  2. परंतु जब लेखन सामग्री का स्टॉक दिया हुआ हो (आरंभिक या अंतिम) तब उस स्थिति में लेखन सामग्री के क्रम में आवश्यक समायोजन और उपभोग्य सामग्री की लागत (Cost of Stationery consumed) को निकालने के पश्चात इस राशि को आय और व्यय खाते में और इसके स्टॉक को तुलन पत्र में दर्शाएँगे।

उदाहरण 8.

(अ) निम्न सूचनाओं को अलाभकारी संस्थाओं के वित्तीय विवरण में दर्शाएँः

(ब) यदि अन्य व्यय समान रहे और मैच व्यय 6,000 रु. से बढ़ जाए तब क्या प्रभाव होगा?

हल:-

यदि मैच व्यय 6,000 रु. से बढ़ जाता है तो मैच निधि का निवल शेष घटा हुआ होगा जैसे कि नाम, जमा से अधिक है और इसके परिणामस्वरूप 2,000 रु. का नाम शेष इस वर्ष के आय और व्यय खाते से प्रभारित किया जाएगा।

उदाहरण 9. 31 मार्च  2013 को समाप्त वर्ष के लिए प्राप्ति एवं भुगतान खाते से निकाला गयाः

भुगतानः

लेखन सामग्री 23,000 रु.

अतिरिक्त सूचनाएँः

हल:-

उदाहरण 10.  दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाते की सहायता से आय और व्यय खाता और तुलन पत्र तैयार करें।

अतिरिक्त सूचनाएँः

  1. संस्था में कुल सदस्य 1,800 हैं तथा प्रत्येक द्वारा वार्षिक चंदा भुगतान 200 रु. 01 अप्रैल 2017 को वर्ष 2017-18 के लिए बकाया 8,000 रु.।
  2. 31 मार्च, 2018 को जून 2018 तक दर का अग्रिम भुगतान था प्रत्येक वर्ष भुगतान प्रभार 24,000रु. है।
  3. 31 मार्च, 2018 को बकाया दूरभाष बिल 1,400 रु. था।
  4. 31 मार्च, 2017 को बकाया विभिन्न व्यय 2,800 रु. थे।
  5. 31 मार्च, 2017 को लेखन सामग्री का स्टॉक 2,000 रु. था 31 मार्च, 2018 को यह 3,600 रु. था।
  6. 31 मार्च, 2017 को भवन का मूल्य 4,00,000 रु. था और इस पर 2.5 प्रतिवर्ष की दर से घिसावट (ह्रास) लगाया गया।
  7. 31 मार्च, 2017 को विनिवेश 8,00,000 रु. था।
  8. 31 मार्च, 2018 को वर्ष के दौरान खरीदे गए निवेश पर उत्पन्न आय की राशि 1,500 रु. थी।

31 मार्च 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए आय और व्यय तथा इस तिथि का तुलन पत्र तैयार कीजिए। चंदा खाता भी तैयार कीजिए।

हल:

कार्यकारी टिप्पणी: