Class 12th लेखाशास्त्र (Accountancy)

Chapter 4 - साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार की सेवानिवृत्ति/मृत्यु 

(Reconstitution of a Partnership Firm : Retirement/Death of a Partner)

  • सेवानिवृत्त/मृत्त साझेदार को देय राशि का निर्धारण (Ascertaining the Amount Due to the Retiring/Deceased Partner) :

  1. साझेदार की सेवानिवृत्ति/मृत्यु के समय सेवानिवृत्त साझेदार (सेवानिवृत्ति के समय) और कानूनी उत्तराधिकारी (मृत्यु के समय) को देय राशि में शामिल हैः

  1. उसके पूँजी खातों का जमा शेष;
  2. उसके चालू खातों का जमा शेष (यदि कोई हो);
  3. उसकी ख्याति का भाग;
  4. उसके निर्धारित लाभ का भाग (संचय);
  5. परिसंपत्तियों तथा दायित्व के पुनर्मूल्यांकन में उसके अधिलाभ का भाग;
  6. उसके सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तारीख तक उसके लाभ का भाग;
  7. सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक उसके पूँजी पर ब्याज (यदि शामिल है) का भाग; तथा
  8. वेतन/कमीशन (यदि कोई हो तो)

  1. सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक उसको देय राशि दी गई कटौतियाँ, यदि कोई हो, तो उसके भाग में से ली जाएँगीः

  1. उसके चालू खातों का नाम शेष (यदि हो);
  2. अपलिखित ख्याति का भाग (यदि ज़रूरी हो);
  3. उसकी निर्धारित हानियों का भाग;
  4. परिसंपत्तियों तथा दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन पर उसकी हानियों का भाग;
  5. सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक उसके हानियों का भाग;
  6. सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक उसके द्वारा आहरित राशि का भाग;
  7. आहरण पर ब्याज (यदि शामिल है) सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक।

  • साझेदारों की सेवानिवृत्ति अथवा मृत्यु के समय विभिन्न लेखाकरण पक्ष इस प्रकार हैः

  1. नया लाभ अनुपात तथा अधिलाभ अनुपात का निर्धारण;
  2. ख्याति का व्यवहार;
  3. परिसंपत्तियों तथा दायित्व का पुनर्मूल्यांकन;
  4. लेखा न की गई परिसंपत्तियों तथा दायित्व के संबंध में समायोजन;
  5. लाभ तथा हानियों का वितरण;
  6. सेवानिवृत्ति/मृत्यु की तिथि तक उसके लाभ तथा हानियों के भाग का निर्धारण;
  7. पूँजी का समायोजन (यदि आवश्यक हो);
  8. सेवानिवृत्त/मृत्यु होने वाले साझेदार को देय राशि का निपटारा।

  • नया लाभ विभाजन अनुपात (New Profit Sharing Ratio): नया लाभ विभाजन अनुपात एक ऐसा अनुपात है जिसके अनुसार शेष साझेदार किसी साझेदार के सेवानिवृत्ति या मृत्यु के बाद भविष्य के लाभों का बँटवारा करेंगे। प्रत्येक शेष साझेदार का नया भाग, फर्म में उसके भाग में सेवानिवृत्त साझेदार/मृत साझेदार से लिया गया भाग जोड़कर ज्ञात करेंगे |

विद्यमान साझेदार का नया भाग = पुराना भाग + जाने वाले साझेदार से अधिग्रहित किया गया भाग

  • अधिलाभ अनुपात (Gaining Ratio): अधिलाभ अनुपात की गणना विद्यमान साझेदारों के पुराने हिस्से को उसके नए हिस्से में से घटाकर की जाएगी अर्थात नये लाभ के भाग को पुराने लाभ के भाग से घटाकर।

विद्यमान साझेदारों का लाभ में हिस्सा = नया हिस्सा - पुराना हिस्सा

नये लाभ विभाजन अनुपात की गणना विभिन्न परिस्थितियों में निम्न प्रकार की जाती है:-

  1. जब प्रश्न में शेष साझेदारों का नया अनुपात नहीं दिया गया हो ऐसी स्थिति में यह मान लिया जाऐगा कि शेष साझेदार अपने पुराने अनुपात में ही लाभ विभाजन करेंगे अर्थात् पुराना अनुपात ही नया अनुपात बन जायेगा।  इस दशा में यह मान लिया जाता हैं कि शेष साझेदार अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के लाभों को अपने पुराने अनुपात में ही प्राप्त किया हैं। इस प्रकार पुराना अनुपात ही अधिलाभ का अनुपात होगा।

उदाहरण 1 - A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं जो 3:2:1 में लाभ विभाजन करते हैं। नये लाभ विभाजन अनुपात की गणना करें:

यदि

  1. A अवकाश ग्रहण करता हैं ;
  2. B अवकाश ग्रहण करता हैं;
  3. C अवकाश ग्रहण करता हैं ।

हल  

  1.  A अवकाश ग्रहण करता हैं तो नया अनुपात 2:1 होगा।
  2. B अवकाश ग्रहण करता हैं तो नया अनुपात 3:1 होगा।
  3. C अवकाश ग्रहण करता हैं तो नया अनुपात 3:2 होगा।

  1. जब एक साझेदार अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार का सम्पूर्ण हिस्सा क्रय कर लेता हैं: ऐसी स्थिति में हिस्सा क्रय करने वाले साझेदार के लाभ विभाजन अनुपात में वृद्धि होगी व अन्य साझेदारों के अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं।

उदाहरण 2 - A, B व C एक फर्म में साझेदार हैं और 2:2:1 के अनुपात में लाभ विभाजन करते हैं। C फर्म से अवकाश ग्रहण करता हैं। C का पूरा हिस्सा A क्रय करता हैं तो नया लाभ-विभाजन अनुपात क्या होगा?

हल : A का नया अनुपात = 

A व B नया लाभ-विभाजन अनुपात = 3 : 2

A का अधिलाभ अनुपात = 

  1. जब शेष साझेदार ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्सें को किसी विशेष अनुपात में खरीदते हैं: ऐसी स्थिति में शेष साझेदारों के पुराने अनुपात में उनके द्वारा अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के क्रय किये गये हिस्से को जोड़ दिया जाता हैं।

उदाहरण 3 - A, B, C  5 : 4 : 3 के अनुपात में लाभ बाँटते हुए साझेदार हैं । B ने अवकाश ग्रहण किया। B के हिस्से को A व C ने बराबर-बराबर अनुपात में लिया हैं तो नया लाभ-विभाजन अनुपात क्या होगा?

हल:

B का हिस्सा = 

A का लाभ = 

C का लाभ =  

विद्यमान साझेदार का नया भाग = पुराना भाग + जाने वाले साझेदार से अधिग्रहित किया गया भाग

A का नया अनुपात = 

C का नया अनुपात = 

A और C का नया लाभ-विभाजन अनुपात = 7 : 5

  • ख्याति का व्यवहार (Treatment of Goodwill):

  1. सेवानिवृत्त/मृत साझेदार ख्याति के भाग को पाने का अधिकारी है जो कि विद्यमान साझेदारों के सामूहिक प्रयत्नों का फल होता है। इसलिए किसी साझेदार के सेवानिवृत्ति/मृत्यु के समय, साझेदारों के मध्य ख्याति का मूल्यांकन समझौते की शर्तों के अनुसार किया जाएगा।

  1. सेवानिवृत्त/मृतक को उसके हिस्से की ख्याति विद्यमान साझेदारों के द्वारा (जिसको सेवानिवृत्त/मृत साझेदार के हिस्से को अधिग्रहित करने के कारण अधिलाभ हुआ हो) उनके अधिलाभ अनुपात में की जाएगी। इस स्थिति में रोजनामचा प्रविष्टि इस प्रकार होगी:         
  1. जब ख्याति पुस्तकों में विद्यमान है (When the value of Goodwill appears in the books): यदि  साझेदार के सेवानिवृत्त के समय ख्याति फर्म की पुस्तकों में विद्यमान है तो इस धनराशि को सभी साझेदारों के पूँजी खातों में उनके पुराने लाभ विभाजन अनुपात में विभाजित किया जाएगा।

उदाहरण 4 - केशव, निर्मल तथा पंकज लाभ का विभाजन 4 : 3 : 2 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। निर्मल सेवानिवृत्त करता है तथा ख्याति का मूल्यांकन 72,000 रुपये किया गया। केशव तथा पंकज भविष्य के लाभों का विभाजन 5:3 में करने का निर्णय लेते हैं। आवश्यक रोजुनामचा प्रविष्टियाँ कीजिए।

हल

कार्यकारी टिप्पणी:

  1. निर्मल का ख्याति में भाग = 
  1. अधिलाभ अनुपात की गणना :-

अधिलाभ भाग = नया भाग- पुराना भाग

केशव का अधिलाभ भाग = 

पंकज का अधिलाभ भाग = 

इसलिए, अधिलाभ अनुपात केशव तथा पंकज का 13:11 है।

  • प्रछन्न ख्याति (Hidden Goodwill): यदि फर्म सेवानिवृत्त/मृत साझेदार को भुगतान के रूप में एकमुश्त राशि देने का निर्णय लेती है तो उसको देय राशि से अधिक भुगतान को उसके पूँजी खातों में संचित लाभ व हानि और परिसंपत्तियों तथा दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन संबंधी सभी आवश्यक समायोजन करने के पश्चात उसके भाग को ख्याति के रूप में माना जाएगा।

उदाहरण के लिए, पी, क्यू और आर लाभों का बँटवारा 3:2:1 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं। आर, सेवानिवृत्त होता है और उसके पूँजी खातों में संचय, परिसंपत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करने के बाद उसके पूँजी खाते का शेष 60,000 रुपये निकलता है। पी और क्यू उसके दावे के पूर्ण निपटारे के लिए 75,000 रुपये देने को सहमत होते हैं। यह प्रदर्शित करता है कि फर्म में आर की ख्याति का भाग 15,000 रुपये है जिसको पी और क्यू के पूँजी खातों में उनके अधिलाभ अनुपात (3:2 यह मानते हुए कि उनके लाभ विभाजन अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं है) के नाम किया जाएगा और आर के पूँजी खातों में जमा इस प्रकार किया जाएगा:

  • परिसंपत्तियों तथा दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन के लिए समायोजन (Revaluation of Assets and Liabilities) : पुनर्मूल्यांकन खाते को परिसंपत्तियों और दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन करने तथा गैर-अभिलेखित मदों को फर्म की पुस्तकों में लाकर अधिलाभ (हानि) की गणना करने के लिए तैयार किया जाता है और इसे सभी साझेदारों को उनके पुराने लाभ विभाजन अनुपात में हस्तांतरित कर दिया जाता है। इस उद्देश्य के लिए निम्न रोजनामचा प्रविष्टियाँ इस प्रकार की जाएँगी।

  1. परिसंपत्तियों के मूल्य में वृद्धि पर (For increase in the value of an asset) :
  1. परिसंपत्तियों के मूल्य में कमी पर (For reduction in the value of an asset):
  1. दायित्वों की राशि में वृद्धि पर (For increase in the amount of a liability) :
  1. दायित्वों की राशि में कमी होने पर (For reduction in the amount of a liability) :
  1. गैर-अभिलेखित परिसंपत्तियों के लिए (For an unrecorded asset):
  1. गैर-अभिलेखित दायित्वों के लिए (For an unrecorded liability):
  1. पुनर्मूल्यांकन पर लाभ या हानि के वितरण के लिए (For transfer of gain on revaluation, if credit balance): 

उदाहरण 5- मिताली, इंदू और गीता लाभो तथा हानि का बँटवारा 5:3:2 के अनुपात में करते हुए साझेदार हैं 31 मार्च, 2017 को उनका तुलन पत्र निम्न था:

गीता उपरोक्त तिथि पर सेवानिवृत्त होती है। मशीन का मूल्यांकन 1,20,000 रुपये, पेटेंट 40,000 रुपये और भवन 1,25,000 रुपये हुआ। आवश्यक रोजनामचा प्रविष्टियों का अभिलेखन करें तथा पुनर्मूल्यांकन खाता तैयार कीजिए।

हल:


  • संचित लाभों तथा हानियों का समायोजन (Adjustment for Accumulated Profits and Losses) : सेवानिवृत्त/मृत साझेदार अपने भाग के संचित लाभों का तथा संचित हानियों (यदि कोई है) का अधिकारी होगा। यह संचित लाभ या हानि सभी साझेदारों से संबंधित है तथा इनको सभी साझेदारों के पूँजी खातों में उनके पुराने लाभ विभाजन अनुपात में हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए निम्न रोज़नामचा प्रविष्टियों का अभिलेखन किया जाएगा।

  1. संचित लाभों (संचय) का हस्तांतरण करने पर
  1. संचित हानियों के हस्तांतरण पर 

उदाहरण 6 - इंद्र, गजेंद्र तथा हरेंद्र साझेदार हैं जिनका लाभ विभाजन अनुपात 3:2:1 है। इंद्र सेवानिवृत्त होता है तथा इस तिथि को फर्म का तुलन पत्र इस प्रकार है:

हल: सामान्य संचय के व्यवहार का अभिलेखन करने के लिए निम्न रोजनामचा प्रविष्टि की जाएँगी:


  • जब साझेदार वर्ष के मध्य सेवानिवृत्त होता है (When the Partners retires in the middle of the year) - सामान्यतः एक साझेदार की सेवानिवृत्ति लेखांकन वर्ष के अंत में ही होती है | जहाँ एक साझेदार लेखांकन वर्ष के बीच में सेवानिवृत्ति का निर्णय लेता है ऐसी परिस्थिति में उस साझेदार को हिस्सेदारी स्वरूप पिछले लेखांकन वर्ष के तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति की तिथि तक लाभ/हानि का अंश, पूँजी पर ब्याज, आहरण पर ब्याज, यदि है तो, देय होगा। यहाँ मध्य अवधि के लिए लाभ (अथवा हानि) की गणना पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति की तिथि तक ज्ञात किया जाएगा।

मध्य अवधि के लिए सेवानिवृत्त साझेदार के लाभ की प्रविष्टि इस प्रकार होगी:-

इसके पश्चात् लाभ व हानि उचंती खाते की राशि को लाभकारी साझीदारों के पूँजी खातों में अधिलाभ अनुपात से हस्तांतरित कर बंद किया जाता है। रोजनामचा प्रविष्टि इस प्रकार होगी:-

वैकल्पिक रूप से, रोजनामचा प्रविष्टि ऐसी भी हो सकती है:-


उदाहरण 7 - 31 मार्च, 2019 को समाप्त हो रहे वर्ष के लिए माईरा, शबनम और विपुल साझेदारी में व्यवसाय कर रहे हैं। वे 5:4:1 के अनुपात में लाभों का विभाजन करते हैं। इस वर्ष की समाप्ति पर फर्म का लाभ 1,00,000 रु. है। विपुल किन्हीं कारणवश 30 जून 2019 को सेवानिवृत्ति का निर्णय लेता है। विपुल का भाग शबनम और माईरा ने बराबर बराबर अधिग्रहित कर लिया।

हल: अप्रैल 01 से जून 30, 2019 तक विपुल की हिस्सेदारी की गणना इस प्रकार होगी -

मार्च 31, 2017 तक कुल लाभ = 1,00,000 रु.

विपुल का अंश = 

रोज़नामचा प्रविष्टि इस प्रकार होगी -

  • सेवानिवृत्त साझेदार को देय राशि का निपटारा (Disposal of Amount due to the Retiring Partner) :

  1. जब सेवानिवृत्त साझेदार को पूर्ण भुगतान रोकड़ में किया जाता है:-
  1. जब सेवानिवृत्त साझेदार की समस्त राशि को ऋण मान लिया जाता है:-
  1. जब सेवानिवृत साझेदार को आंशिक रूप से रोकड़ भुगतान किया जाता है तथा शेष राशि को ऋण माना जाता है:-
  1. जब ऋण खाते का निपटारा किश्तों में मूल राशि में ब्याज सहित भुगतान किया जाता है:-
  1. ऋण पर ब्याज के लिए
  1. किश्त के भुगतान पर

टिप्पणी:-

  1. सेवानिवृत्त साझेदार के ऋण खाते का शेष तुलन पत्र में दायित्व पक्ष की ओर अंतिम किश्त के भुगतान तक दर्शाया जाएगा।
  2. प्रविष्टि संख्या (ब) तथा (स), उपरोक्त को ऋण के भुगतान की तिथि तक दोहराया जाएगा।

उदाहरण 8- अमरिंद्र, महेंद्र तथा जोगिंद्र एक फर्म में साझेदार हैं। महेंद्र फर्म से सेवानिवृत होता है। उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि को उसको 60,000 रुपये देय हैं। अमरिंद्र तथा जोगिंद्र ने यह वचन दिया कि उसको प्रत्येक वर्ष के अंत में किश्तों में भुगतान किया जाएगा। निम्न स्थितियों में महेंद्र का ऋण खाता तैयार करें:

  1. जब शेष राशि का भुगतान चार वार्षिक किश्तों में 12% प्रतिवर्ष ब्याज के साथ किया जाएगा।
  2. जब पहले तीन सालों के दौरान, बकाया शेष पर 20,000 रुपये की तीन वार्षिक किश्तों में, 12% प्रतिवर्ष ब्याज सहित और शेष ब्याज सहित चौथे वर्ष में भुगतान करने पर सहमत होते हैं।
  3. जब शेष राशि का भुगतान 4 समान वार्षिक किश्तों में 12% ब्याज सहित किया जाए।

हल:

  1. जब भुगतान 4 वार्षिक किश्तों में ब्याज के साथ किया जाता है।
  1. जब भुगतान 20,000 रुपये प्रत्येक की 3 वार्षिक किश्तों में ब्याज सहित किया जाता है।


  1. जब भुगतान 4 वार्षिक बराबर किश्तों में 12% (वार्षिक) ब्याज सहित किया जाता है:

  • साझेदारों की पूँजी का समायोजन (Adjustment of Partner’s Capital Account):

  1. साझेदार की सेवानिवृत्ति या मृत्यु के समय शेष साझेदार पूँजी का समायोजन अपने लाभ अनुपात से कर सकते हैं। इस प्रकार की स्थिति में यदि कुछ अन्य सूचना न हो तो शेष साझेदारों के शेषों का योग नई फर्म की कुल पूँजी होगी।

  1. तब शेष साझेदारों की नयी पूँजी का निर्धारण करने के लिए फर्म की कुल पूँजी को शेष साझेदारों में नए लाभ अनुपात के अनुसार बाँटा जाएगा तथा पूँजी से अधिक या कमी को साझेदार के वैयक्तिक खाते से ज्ञात किया जाएगा। इस प्रकार के आधिक्य या कमी साझेदार द्वारा रोकड़ निकाल कर या रोकड़ लाकर जैसी भी स्थिति हो, द्वारा समायोजित की जाएगी।

उपरोक्त स्थिति में निम्न रोजनामचा प्रविष्टियाँ अभिलेखित की जाएँगी:

  1. आधिक्य राशि का साझेदार द्वारा आहरण करने पर:
  1. साझेदार द्वारा पूँजी के लिए राशि लाने पर:
  • साझेदार की मृत्यु (Death of a Partner): किसी साझेदार की मृत्यु की दशा में उसके कानूनी उत्तराधिकारी को देय राशि का निर्धारण वर्ष के मध्य किसी तिथि को करना पड़ता हैं। इस दशा में उसे या उसके उत्तराधिकारी को देय राशि ज्ञात करते समय उसकी पूँजी के अतिरिक्त निम्नांकित समायोजन उसके पूँजी खाते करने पड़ते हैं।

  1. वेतन, बोनस, कमीशन व फीस आदि पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक का वेतन, बोनस आदि की राशि उसके पूँजी/चालू खाते में जमा कर दी जाती हैं।

  1. पूँजी पर ब्याज- पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक का पूँजी पर ब्याज उसके पूँजी / चालू खाते क्रेडिट किया जाता हैं।

  1. आहरण व उस पर ब्याज- पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक के आहरण और इन पर ब्याज (यदि कोई हो) उसके पूँजी/चालू खाते में डेबिट किया जाता है।

  1. फर्म के लाभों में हिस्सा- पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक का लाभों में हिस्सा गणना करके उसके पूँजी/चालू खाते में क्रेडिट कर दिया जाता हैं। इसकी गणना निम्नांकित में से किसी एक रीति से कर सकते है:-

  1. समय के आधार पर (On time basis): तुरंत पूर्व वाले वर्ष या विगत कुछ वर्षों के औसत लाभ को आधार मानते हुए, पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक तक की अवधि का आनुपातिक लाभ ज्ञात कर उसमें ऐसे साझेदार का हिस्सा उसके पूँजी/चालू खाते में क्रेडिट किया जाता है।

  1. विक्रय के आधार पर (on the basis of turnover): विगत वर्ष के लाभ का उसी वर्ष के विक्रय से प्रतिशत ज्ञात किया जाता है तत्पश्चात पूर्वदत्त तुलन पत्र तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति/मृत्यु तिथि तक की विक्रय पर उसी प्रतिशत के आधार पर लाभ ज्ञात कर। ऐसे साझेदार का लाभ में हिस्सा (उसके लाभ-विभाजन अनुपात में) ज्ञात कर उसके पूँजी/चालू खाते में क्रेडिट किया जाता है।

उदाहरण 9 - A, B व C 3:2:1 में लाभ बाँटते हैं। 31 मार्च, 2016 वर्ष का लाभ व विक्रय क्रमशः 48,000 और 2,00,000 है। 31 अगस्त, 2016 को A की मृत्यु हो जाती है। मृतक साझेदार का लाभ में हिस्सा ज्ञात करो।

  1. समय के आधार पर
  2. विक्रय के आधार पर (यदि 1 जनवरी से 31 अगस्त, 2016 तक की बिक्री र 60,000 हो)।

हल:

  1. समय के आधार पर लाभ:

48,000 x 5/12 = 20,000 रु.

इसमें A का हिस्साः 20,000 x 3/6 = 10,000 रु

  1. विक्रय के आधार पर लाभ: 

विगत वर्ष का विक्रय पर लाभ का प्रतिशत = (48,000/2,00,000) x 100 = 24%

वर्ष 2016 में मृत्यु की तिथि तक के लाभ में A का हिस्सा = 7,200 रु

  1. ख्याति में हिस्सा: साझेदार की मृत्यु की स्थिति में ख्याति का लेखांकन व्यवहार (उपचार) उसी प्रकार से किया जाता है जैसा कि साझेदार के सेवानिवृत्त होने पर |

  1. सम्पत्तियों व दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन से उत्पन्न लाभ हानि में हिस्सा : साझेदार की मृत्यु की स्थिति में संपत्तियों व दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन उसी प्रकार से किया जाता है जैसा कि साझेदार के सेवानिवृत्त होने पर |

  1. अवितरित लाभों या हानियों व संचयों में हिस्सा - साझेदार की मृत्यु की स्थिति में वितरित लाभों या हानियों व संचयों का लेखांकन व्यवहार (उपचार) उसी प्रकार से किया जाता है जैसा कि साझेदार के सेवानिवृत्त होने पर |